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Structure of Elementary Education in Rajasthan

accountability

12 May 2014

राजस्थान में प्रारम्भिक शिक्षा का ढांचा

किसी भी देष या समाज के विकास के लिए शिक्षा मूल आधार हैं। राजस्थान राज्य के निर्माण के बाद राज्य में शैक्षणिक विकास एवं शिक्षा में समानता लाने के लिए एक संरचनात्मक प्रषासनिक ढांचा निर्मित किया गया। जिसका मुख्य उद्वेष्य प्राथमिक शिक्षा का सार्वजनिकरण करके, बिना जाति, लिंग एवं धर्म के भेदभाव के आधार पर सभी कों शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध करवाना, प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा में गुणात्मक उन्नयन, राष्टंीय शिक्षा नीति एवं राज्य द्वारा घोषित शिक्षा नीति एवं योजनाओं का क्रियान्वयन आदि है। राज्य के विभिन्न जिलों एवं क्षैत्रों में शैक्षणिक स्तर में काफी भिन्नताएं है।

शिक्षा विभाग

वर्ष 1950 में राज्य शिक्षा विभाग के तहत बीकानेर में प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा निदेषालय स्थापना की गई। शिक्षा में गुणवत्ता सुधार हेतू वर्ष 1997 में प्राथमिक शिक्षा एवं माध्यमिक शिक्षा के अलग-अलग निदेषालय स्थापित किए गए। राज्य स्तर पर शैक्षणिक ढांचे के अन्तर्गत मुख्य रूप से दो खण्ड है!

1.सचिवालय स्तर: सचिवालय स्तर पर शिक्षा मंत्री के अधीन प्रषासनिक एवं वित्तीय कार्यो के निर्वहन हेतू सचिव, स्कूल एवं संस्कृत शिक्षा होता है, जो इन कार्यो का निर्वहन विषिष्ठ शासन सचिव/उप सचिव, लेखाधिकारी एवं अनुभाग अधिकारी आदि के माध्यम से करता है। 

2. निदेषालय स्तर:- राज्य में स्कूली शिक्षा के निरीक्षण एवं अन्य कार्यो के निर्वहन हेतू सचिव, स्कूल एवं संस्कृत शिक्षा के अधीन प्राथमिक शिक्षा एवं माध्यमिक शिक्षा हेतू अलग-अलग निदेषालय है। दोनों निदेषालयों के अलग-अलग विभागाध्यक्ष निदेषक, प्रारम्भिक शिक्षा एवं निदेष, माध्यमिक शिक्षा है। राज्य में प्रारम्भिक एवं माध्यमिक निदेषालयों के अन्तर्गत क्रमषः प्रारम्भिक एवं माध्यमिक शिक्षा तथा निजी क्षैत्र में संचालित शिक्षा के निरीक्षण एवं प्रषासनिक कार्यो का निर्वहन होता है।

3. संभागीय स्तर:- राज्य में शिक्षा का प्रषासन 7 संभागों यथा- जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, भरतपुर, कोटा, एवं चुरू मण्डल में विभक्त है। संभागीय स्तर पर प्रारम्भिक एवं माध्यमिक शिक्षा के लिए अलग-अलग उपनिदेषक होते है।

4. जिला स्तर:- जिला स्तर पर स्कूली शिक्षा से संबधित कार्यो का आयोजन, क्रियान्वयन एवं प्रबन्धन, जिला शिक्षा अधिकारियों के द्वारा किया जाता है! प्रत्येक जिले में प्रारम्भिक एवं माध्यमिक शिक्षा हेतू अलग-अलग जिला शिक्षा अधिकारी होते हैं।

5. प्रखण्ड स्तर:- उपखण्ड या पंचायत समिति में प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विधायलयों के प्रबन्धन, शैक्षणिक गतिविधियों के क्रियान्वयन एवं प्रभावी नियत्रंण हेतू प्रखण्ड स्तर पर प्रखण्ड प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी होता है।

सर्व शिक्षा अभियान

राज्य में प्रारम्भिक शिक्षा के कार्यो को क्रियान्वित करने के लिए सर्व शिक्षा अभियान का एक संगठनात्मक ढांचा तैयार किया गया है। इसमें जस्थान प्रारम्भिक शिक्षा परिषद का गठन एक स्वाययतषाषी निकय के रूप में राजस्थान सहकारी समिति अधिनियम, 1958 के तहत किया गया। जब वर्ष 2000-01 में सर्व शिक्षा भियान कार्यक्रम की शुरूआत हुई तो इससे संबधित सभी कार्यों को राजस्थान प्रारम्भिक शिक्षा परिषद को सोप दिये गये। राज्य स्तर पर परियोजना के कार्यों के प्रभावी क्रियान्वयन एवं नीतिगत निर्णय हेतू कार्यकारी परिषद एवं राजकीय परिषद होती हैं। सर्व शिक्षा अभियान एक केन्द्रीय प्रवर्तित योजना है, जिसका क्रियान्वयन राज्य में एक पंजीकृत समिति द्वारा किया जाता है। केन्द्र सरकार द्वारा इस अभियान की राषि राज्य सरकारों को नही देकर सीधे इस परिषद को दी जाती है।

प्रारम्भिक शिक्षा पंचायतों के अधीन

2 अक्टूबर 2011 में राज्य सरकार ने जिला स्तर पर पांच महत्वपूर्ण विभागों को पूर्ण रूप से पंचायतों के हवाले करने का निर्णय किया। इस निर्णय से जिला तथा प्रखण्ड स्तर पर प्रारम्भिक शिक्षा से जुडे अधिकारी/कर्मचारी/षिक्षक क्रमषः जिला परिषद तथा पंचायत समिति के अधीन आ गये है। जबकि ग्राम स्तर पर षिक्षकों की उपस्थिति, मध्यान्ह भोजन, छात्र-छात्राओं की उपस्थिति, शाला परिसर के विकास तथा विधालय में पानी की व्यवस्था आदि गतिविधियां ग्राम पंचायतों के जिम्में कर दी गई है। शालाओं का निरीक्षण, निःषुल्क पाठ्य-पुस्तकों का विवरण, छात्र-छात्राओं के बैठने की व्यवस्था, अध्यापक समानीकरण आदि पंचायत समितियों तथा शाला भवनों का रखरखाव, अध्यापको की भर्ती तथा अनुषासनात्मक कार्यवाही जिला परिषदों के जिम्मे कर दी गई है। इससे प्रारम्भिक शिक्षा में पंचायतीराज की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो गयी है।


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