अनौपचारिक श्रमिकों के लिए सामाजिक संरक्षण
10 February 2021
कोविड-19 महामारी ने कठिन नीतिगत चुनौतियों को जन्म दिया । इसने भारत की सामाजिक सुरक्षा नीतियों विशेष-कर अनौपचारिक श्रमिकों के लिए जो नीतियां हैं, उनकी कमियों को भी उजागर किया । मार्च 2020 में भारत में लॉकडाउन की घोषणा के तुरंत बाद, एक करोड़ से अधिक प्रवासी श्रमिक उन राज्यों में लौट आये जहाँ के वे मूल निवासी थे ।
एक बड़ी बात समझने की यह है की भारतीय श्रम बाज़ार मुख्य रूप से अनौपचारिक है । इसलिए अनौपचारिक क्षेत्र में नियोजित श्रमिकों को मौजूदा श्रम विधानों, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और अन्य रोज़गार लाभों के तहत या तो अपर्याप्त रूप से कवर किया गया है या कवर किया ही नहीं गया है । वे, अक्सर, अत्यंत शोषक और अनिश्चित परिस्थितियों में काम करते हैं ।
उनकी अनिश्चितता दिखती है । महामारी के पहले तीन महीनों के दौरान अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 66 प्रतिशत श्रमिकों ने अपनी नौकरियाँ खो दी । अधिकांश लोग जिन्होंने अपनी नौकरी खो दी थी वे गैर-कृषि, स्व-नियोजित श्रमिक थे । मई 2020 के अंत तक, लगभग 77 प्रतिशत परिवारों ने अपने भोजन की खपत में कमी की सूचना दी, और 47 प्रतिशत के पास एक सप्ताह के लिए भी आवश्यक वस्तुएँ खरीदने का साधन नहीं था ।
हमारे द्वारा जारी शोध (डाउनलोड करें) ने भी सरकार की अनौपचारिक श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा नीतिगत पहल पर ध्यान केंद्रित किया है । ध्यान देने योग्य बातें हैं:
- 2011-12 और 2018-19 के बीच, अनौपचारिक श्रमिकों द्वारा सामाजिक सुरक्षा लाभों की पहुंच में 23 प्रतिशत से 26 प्रतिशत तक मामूली सुधार हुआ ।
- उसी तरह, वैतनिक अवकाश या लिखित नौकरी के अनुबंध के लिए पात्र श्रमिकों के हिस्से में नगण्य परिवर्तन हुआ ।
- वर्तमान में, कोई न्यूनतम सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं है जो एक नागरिक की गारंटी है । असंगठित श्रमिकों का एक एकीकृत डेटाबेस भी मौजूद नहीं है । इसी तरह की अन्य चुनौतियाँ भी हैं ।
- प्रवासी मज़दूरों के लिए यह भी स्पष्ट नहीं है कि किस राज्य को उनके सामाजिक सुरक्षा लाभों के लिए भुगतान करना होगा – ‘स्रोत’ राज्य या ‘गंतव्य’ राज्य ।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संघ परिसंघ (आई. टी. यू. सी) के अनुसार, 2020 में श्रमिक अधिकारों के मामले में भारत दुनिया के 10 सबसे खराब देशों में शामिल था।
अनौपचारिक श्रमिकों के लिए एक मजबूत सामाजिक सुरक्षा प्रणाली की ज़रूरत आज बहुत स्पष्ट है । धन असमानता और व्यापक गरीबी की इस दुनिया में, सामाजिक सुरक्षा के लिए बनायीं गयीं नीतियां लोगों को सामाजिक-आर्थिक झटकों से बचा सकती हैं ।
यह लेख सर्वप्रथम अंग्रेजी में प्रकाशित हुआ था । इंद्रेश शर्मा ने इसका अनुवाद किया है ।