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जन सेवा केंद्र के कुछ एहम मुद्दे

मृदुस्मिता बोर्डोलोई

20 November 2018

कितना अच्छा होता अगर हमारे देश के दूर-दराज प्रांत में रहने वाला प्रत्येक नागरिक सरकारी सुविधाओं तक अपनी पहुंच बना सकता और उनका लाभ ले सकता ! मेरे कहने का अर्थ है कि घंटों सफर कर सरकारी कार्यालय के बजाय नागरिक सुविधाओं का लाभ नज़दीक सेंटर से प्राप्त कर पाता, तो कितना अच्छा होता |

केंद्र सरकार ने डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत जन सुविधा केंद्र (CSC) की शुरुआत कर इस सपने को सच करने के ओर कदम उठाया है | अधिकतर राज्यों ने पिछले तीन वर्षों में ऐसे सेंटर का आरम्भ किया है जहाँ पर सूचना एवं  तकनीकी सेवाएँ नागरिकों को उपलब्ध करवाई जा रहीं है, खासकर ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्र जहाँ पर अभी भी सुविधाओं को पहुंचाना एक चुनौती है | केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि 2019 तक पुरे भारत वर्ष के 2.5 लाख ग्राम पंचायतों में एक जन सुविधा केंद्र शुरू हो |  यह सुविधा केंद्र मुख्य रूप से आमजन को प्रदान की जाने वाली महत्वपूर्ण सेवाओं के लिए स्थान प्रदान करेंगे जैसे सार्वजानिक कल्याण की योजनायें, स्वास्थ्य सेवाएं, वित्तीय, शिक्षा और कृषि जैसी सुविधाएं, आनलाइन पासपोर्ट का आवेदन, पैन कार्ड के लिए आवेदन, आधार कार्ड, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र, और खाते से पैसे की निकासी जिस प्रकार बैंक द्वारा की जाती है | यह केंद्र उपभोक्ता को मोबाईल रिचार्ज, बिल पेमेंट और डिश टीवी की पेमेंट करने की सुविधा भी देंगे | इन सेंटर को स्थानीय उधयमी द्वारा चलाया जाएगा |

यधपि बहुत सी चुनौतियां है | इन चुनौतियों को मुख्य रूप से दो भाग में बाटा जा सकता है | पहला, क्या CSC मालिक लाभ को अधिकतम करने के साथ-साथ सार्वजनिक सेवा प्रदाताओं की भूमिका निभाते हुए व्यवसाय कर सकते हैं? दूसरा, सेंटर और सरकार की जवाबदेही | हाल ही में मैंने एक वर्कशाप में भाग लिया जिस को अज़ीज़ प्रेमजी फाउन्डेशन ने आयोजित किया था | इस वर्कशाप में झारखंड के 10 जिलों में CSC मालिकों और सेवा उपभोगता नागरिकों पर हुआ नमूना सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर विस्तार से चर्चा हुई | कार्यशाला के प्रतिभागियों CSC मालिक, सरकार के सदस्य और सिविल सोसाइटी संगठन थे ।

चर्चा के कुछ एहम मुद्दे 

जन सेवा केंद्र के मुखिया स्थानीय गाँव के उद्ययमी होते हैं | CSC सरकारी निजी कंपनी भागीदारी (Public Private Partnership) के माध्यम से बनते हैं | अधिकतर सरकारी सेवाओं की राशि सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है | मूलभूत सुविधाएं, जैसे बैंकिंग, मुफ्त उपलब्ध होती हैं | जन सुविधा केंद्र बड़े पैमाने में सुविधाओं का विस्तार कर सकते हैं और उनसे अपेक्षा की जाती है की सरकार के लिए जहाँ सेवाओं को पहुंचाना कठिन है, वहां CSC सेवाएँ प्रदान करें |

अधिकतर ग्रामीण स्तर के उद्यमी, जोकि झारखंड के थे, ने इस बात पे ज़ोर दिया की उनका औसतन लाभ (वर्तमान कमीशन आधारित माडल के अनुसार) Rs 3000 – Rs 6000 प्रति माह है, जोकि बहुत कम है | वह सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए निर्धारित राशि से अधिक की मांग जनता से नही कर सकते | राजस्थान के एक प्रतिनिधि ने सुनिश्चित किया कि उनका लाभ इस राशि के लगभग रहता है | ब्लॉग लिखने के समय पर भी हमारे पास इतना डाटा नही था जिससे कि हम बाकी राज्यों में जन सुविधा केंद्र की औसतन कमाई का अनुमान लगा सके | लेकिन इन बातों से यह पता चलता है की योजना के वर्तमान डिजाइन में न्यूनतम आय सुनिश्चित करना पेचीदा है । प्रश्न यह उठता है – क्या उद्यमी अपने आपको इतनी कम आय पर लम्बे समय तक टिका पाएंगे ? प्रश्न यह भी है की क्या केंद्र के मालिकों को मुफ्त सेवाओं का दायरा सीमित करना होगा? और उपभोगता द्वारा धन राशि खर्च करने वाली सेवाओं पर अधिक ध्यान देना होगा? क्या जनता से सभी सरकारी सेवाओं के लिए धनराशि वसूल की जानी चाहिए ? जबकि सरकारी कार्यालयों में यह सेवा मुफ्त में उपलब्ध करवाई जाती है | इनके जवाब आसान नहीं है |  इसलिए वर्कशॉप के दौरान चर्चा गंभीर थी  |

इसके साथ ही साथ जन सेवा केंद्र में जो सेवाएँ उपलब्ध करवाई जाती है वह आनलाईन होती है जिसके लिए पुरे दिन बेहतर इन्टरनेट स्पीड की आवश्यकता होती है | झारखंड के दूर-दराज इलाकों में खराब इन्टरनेट कनेक्टिविटी के कारण नागरिकों तक सेवाओं को पहुचाने में कठिनाई आ रही है | इसका परिणाम सेवाओं में देरी, और सेवाओं की खराब गुणवत्ता है | CSC को अपनी भूमिका निभाने के लिए ज़रुरत है बेहतर डिजिटल नेटवर्क की |

जवाबदेही के बारे में 

जन सुविधा केंद्र अगर किसी कारण सेवा प्रदान नही कर पाते है तो इसके लिए कोई शिकायत प्रणाली तंत्र नही है | उनका कार्य केवल सुविधाओं को ग्राहकों तक पहचाना है क्यूंकि PPP मॉडल के तहत, वह सरकार का हिस्सा नहीं हैं |  इसके अलावा सेवा के प्रावधान में CSC के पास कोई निर्णय लेने का अधिकार नहीं है | इस स्तिथि में, नागरिक को शिकायत निवारण के लिए सीधे सरकारी प्राधिकरण से संपर्क करना मुश्किल है क्योंकि वह अब तक CSC के साथ समन्वय कर रहे थे | अगर नागरिक जन सेवा केंद्र के खिलाफ किसी तरह की शिकायत करने का निर्णय लेते हैं तो मुख्य रूप से ऐसा कोई रास्ता नही है जहाँ से समय पर जवाब की अपेक्षा की जाए | बेशक, सरकार द्वारा फोन,  ईमेल, आनलाइन उलेखित किया जाता है, परन्तु एक समयसीमा के अंदर किसी भी तरह की करवाई सुनश्चित होनी चाहिए |

इसके अलावा यह गलतफ़हमी देखि गयी है कि जन सेवा केंद्र सरकारी कार्यालयों का विकल्प है | सर्वेक्षण में CSC के मूलभूत बैंकिंग सेवाओं, जैसे नकद जमा करना और निकासी, के लिए बैंकों के विकल्प के रूप में पेश किए जाने के उदाहरण सामने आए | एक मजबूत जवाबदेही तंत्र की अनुपस्थिति में इस तरह के अभ्यास भ्रम पैदा कर सकते है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे सकते है क्योंकि बड़ी संख्या में CSC में पासबुक अपडेट की सुविधा नहीं है, जो कि कई ग्रामीण नागरिकों के लिए धनराशि को ट्रैक करने का एकमात्र तरीका है ।

तो, मैं यह महसूस कर रही हूँ कि जन सेवा केंद्र का स्थापित किया जाना एक बहुत बड़ा कदम है परन्तु इसमें ठोस परिवर्तन की आवश्यकता है ताकि इसे और जवाबदेह बनाया जा सके | एक मजबूत जवाबदेही तन्त्र शिकायतों  के पंजीकरण और निवारण के लिए औपचारिक मार्ग सुनश्चित करता है | नियमित रूप से सरकार द्वारा निगरानी और मानिटरिंग, सेंटर द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं की मूल्य सूची प्रदर्शित करना, और अनेक चीज़ों की आवश्यकता है | साथ ही, CSC मालिकों के लिए कुछ बुनियादी आश्वासन मासिक आय अर्जित करने के लिए एक तंत्र विकसित करना, और ग्रामीण इलाकों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्शन के सुधार और विकास में तत्काल निवेश महत्वपूर्ण होगा ।

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