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उचित ढंग से पैसों का दुरूपयोग

accountability

6 August 2014

“निःषुल्क एवं अनिवार्य बाल षिक्षा अधिकार अधिनियम 2009” की धारा 21 के अनुसार राजस्थान राज्य के समस्त राजकीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विधालयों में “विधालय प्रबन्धन समिति“ का गठन किया गया हैं। विधालय प्रबन्धन समिति को उनके दायित्वों की जानकारी देने, विधालय के प्रति अपनत्व की भावना विकसित करने, गुणवत्तापूर्ण षिक्षा सुनिष्चित कराने, आर.टी.ई. एक्ट के प्रावधानों एवं विधालय स्तर पर षिकायत निवारण तंत्र के बारे में जानकारी देने, विधालय स्तर पर योजना निर्माण करने, सर्व षिक्षा अभियान के विभिन्न कार्यक्रमों एवं विधालय प्रबन्धन की जानकारी देने हेतु दो दिवसीय प्रषिक्षण नोडल विधालय स्तर पर आयोजित किये जाने का प्रावधान किया गया है। इस क्रम में कार्यालय जिला परियोजना समन्वयक, सर्व षिक्षा अभियान, जयपुर द्वारा प्रासंगिक पत्र जिपस/एस.एस.ए./जय/630 दिनांक 17.07.2014 जारी कर समस्त प्रखण्ड प्रारम्भिक षिक्षा अधिकारियों को निर्देषित किया गया कि प्रखण्ड स्तर पर एक दिवसीय प्रषिक्षण नोडल संस्था प्रधानों को दिया जावे। इस प्रकार नोडल संस्था प्रधान प्रषिक्षण लेने के बाद प्रभावी दक्ष प्रषिक्षक के रूप में विधालय प्रबन्धन समिति के सदस्यों को प्रषिक्षित कर सके।

अभी 24 जूलाई 2014 को मुझे जयपुर जिले के एक प्रखण्ड में इस प्रकार की एक एकदिवसीय प्रषिक्षण कार्यषाला में भाग लेने का मौका मिला। यह प्रषिक्षण कार्यषाला सुबह 10 बजे से लेकर 5 बजे तक आयोजित की गयी, जिसमें प्रखण्ड के नोडल एव वरिष्ठ षिक्षकों ने संदर्भ व्यक्ति के रूप में भाग लिया। मुख्य संदर्भ व्यक्ति ने परिचय के माध्यम से प्रषिक्षण की शुरूवात की। प्रषिक्षण की विषय सूची में निम्न बिन्दू प्रस्तावित थे जिन पर प्रषिक्षण के दौरान चर्चा की जानी थी।

  • प्रेरणा सत्र
  • सामुदायिक गतिषीलता की अवधारणा
  • हमारा अपना विधालय
  • 1⁄411⁄2 एस.एम.सी. के दायित्व एवं भूमिका
  • 1⁄421⁄2 विधालय प्रबन्धन समिति
  • 1⁄431⁄2 विधालय प्रबन्धन समिति द्वारा किये जाने वाले मुख्य कार्य
  • सर्व षिक्षा अभियान के अन्तर्गत संचालित कार्यक्रम परिचय
  • विधालयी गतिविधियाँ एवं एस.एम.सी.
  • विधालय योजना निर्माण एवं एस.एम.सी. का योगदान
  • विधालय योजना निर्माण 1⁄4सामान्य दिषा-निर्देष एवं आवष्यक प्रपत्र1⁄2

परिचय के बाद सभी प्रषिक्षाणर्थी मुख्य संदर्भ व्यक्ति से पिछले वक्त आयोजित किये गये प्रषिक्षण में कम किये गये पैसों के बारे में पुछना शुरू कर दिया और कहा कि वो पैसा कब मिलेगा। मुख्य संदर्भ व्यक्ति ने कहा कि आज हमारे यहाँ आने का मुद्दा यह नही है, आज हमारा काम प्रषिक्षण लेना हैं। सर्व षिक्षा अभियान के एक कार्यकर्ता ने रिडिंग कैम्पेन की पुस्तकों के आगमन की सूचना दी। सब लोग इस बारे में बातचीत करने में मषगूल हो गये। इस कार्य में तकरीबन 30 मिनट खर्च हो गये। तब कही जाकर वापस प्रषिक्षण की विषय सूची पर वापिस बात होना शुरू हुई। मुख्य संदर्भ व्यक्ति ने बताया कि साधारण सभा की एक बैठक आयोजित कर उसमें से कार्यकारिणी का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से करवाया जाना चाहिए। साधारण सभा के साथ तीन माह में एक बार आम सभा की बैठक व कार्यकारिणी के साथ मासिक बैठक आयोजित की जानी चाहिए। इस बीच प्रषिक्षार्थी राजस्थान में विधालयों के होने जा रहे एकीकरण को लेकर चर्चा शुरू हुई। थोडे समय बाद, बी.ई.ई.ओ. प्रषिक्षण केन्द्र पहुँचे और उन्होंने सभी उपस्थित लोगों को यह जानकारी दी कि मीड-डे-मील के तहत जिन लोंगों को गैस कनेक्षन नही दिये गये है, वह लोग सूची बनाकर उनके कार्यालय भेज दे। उन्हें जल्द ही यह कनेक्षन उपलब्ध करवाने का आष्वासन दिया। सभी प्रषिक्षार्थियों ने तभी मीड-डे-मील योजना के बारदाने को लेकर बात शुरू कर दी किस दर पर हम लोगों को यह बेचना चाहिए ? लगभग 1 घण्टे तक इस मुद्दे पर चर्चा होती रही। एक बार फिर से मुख्य संदर्भ व्यक्ति ने प्रषिक्षण विषय सूची पर चर्चा शुरू की, तभी प्रषिक्षार्थियों ने एक स्वर में कहा कि सर इसे रहने दीजिये, यह वही पुराना वाला माॅड्युल है सिर्फ कुछ चीजे नही है जिन्हे हम घर जाकर पढ लेग। आप हमें यह बताये कि हमें प्रषिक्षण के दौरान किन बातों का ख्याल रखना हैं ? मुख्य संदर्भ व्यक्ति ने भी सब की हाँ में हाँ मिलाते हूवे प्रषिक्षण माॅड्युल पढना बन्द कर दिया और कहां कि आप लोगों को निम्न बातों का ध्यान रखना है:-

  1. प्रतिदिन के प्रषिक्षण के फोटोग्राप्स का होना आवष्यक है। अगर लोग प्रषिक्षण के लिए नही आ रहे है तो भी आप लोग आंगनबाडी के कार्यकर्ताओं, आसपास के दुकानदारों और रसाईयों को बुलाकर फोटोग्राप्स अवष्य लेवे।
  2. प्रतिदिन की उपस्थिति अवष्य लेवे।
  3. इस बार निगरानी कडी होगी, ध्यान रखे।
  4. बजट का खर्च नियमानुसार करे और उपयोगिता प्रमाण पत्र समय पर कार्यालय में जमा करावे।

इसके बाद चाय आ गई, सभी लोग चाय पीने के पश्चायत सभी लोग अपने घरों के लिए प्रस्थान कर गये।

निष्कर्ष:- जिस तरीके से पुरा एकदिवसीय प्रषिक्षण आयोजित हुआ उसमें प्रषिक्षण विषय सूची पर कम और अकादमिक गतिविधियों पर ज्यादा बातचीत हुई। आकलन से लग रहा था प्रषिक्षार्थी प्रषिक्षण में रूचि नही ले रहे थे। पुरे प्रषिक्षण सत्र के दौरान 7 घण्टों में से बमुष्किल 2 घण्टे प्रषिक्षण सूची पर बात हुई।
प्रषिक्षण के अन्त में मुख्य व्यक्तियों द्वारा ऐसी बाते बतायी जा रही थी जैसे कि आप लोगों को महज यह औपचारिकता पूरी करनी है। क्या इस तरीके से प्रषिक्षित संदर्भ व्यक्ति उचित तरीके से विधालय प्रबन्धन समिति के लोगों को प्रषिक्षित कर पायेंगे ? क्या भविष्य में हम लोगांे को ऐसे ही सम्बन्धित विभागिय लोगों से प्रषिक्षण कार्यक्रम आयोजित करवाते रहना चाहिए अथवा बाहरी लोगों की मदद लेनी चाहिए ? जिससे हम लोगों को नतीजे प्राप्त हो, सरकारी धन का दुरूपयोग रोका जा सके।

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