टाइम यूज़ स्टडी
28 July 2016
एकाउंटेबिलिटी इनिशिएटिव द्वारा श्टाइम यूज़ स्टडीश् बिहारए महाराष्ट्रए मध्यप्रदेशए हिमाचलप्रदेश और राजस्थान में शुरू किया गया द्य स्टडी का मुख्य उद्देश्य जनशिक्षक के दैनदिन कार्य को समझना था द्य इसी कार्य हेतु जिला स्तर के अधिकारियो को सूचित कर इस कार्य को किया गया द्य इस स्टडी को हमारे द्वारा तीन भाग में किया गया द्य ताकि जनशिक्षक के अलग अलग कार्य को अच्छे से समझ सके द्य इसके लिए जनशिक्षक को पहले से सूचित नहीं किया जाता था द्य
जनशिक्षक को समन्वयक के नाम से जाना जाता हैए जिसका मतलब हैए की सबके साथ समन्वय स्थापित कर अपने कार्य को करना द्य जनशिक्षक के जो वर्तमान में कार्य हैए उनमे से कई कार्य ऐसे है जोए वरिष्ट अधिकारियो द्वारा अपने स्तर पर आदेश जारी कर करवाए जा रहे है द्य शासन के जनशिक्षा अधिनियम और आरटीई में जो जनशिक्षक के कार्य है वो स्पष्ट हैए शासन को चाहिए की वह उन कार्यो को ही जनशिक्षक से करवाए तभी शाला स्तर पर कुछ सुधार देखने को मिल सकता है वर्तमान के जनशिक्षक मात्र डाकिया बनकर रह गया है द्य हमारे स्टडी के दौरान देखा गया कीए जनशिक्षक अपने कार्य की योजना तो बना लेते हैएपर वह उसे पूरा नहीं कर पाते द्य इसके पीछे कारन हैए अधिकारियो द्वारा तत्काल में प्राप्त होनेवाला कार्य जिसका टाइम लिमिट बहुत कम होता हैए और उसे तुरंत पूरा करना हैए ऐसे समय में जनशिक्षक अपने बनाये गये कार्य पर काम नहीं कर सकता द्य हर दुसरे दिन अलग अलग प्रकार के फॉर्मेट भरने हेतु जनशिक्षक को सौपे जाते हैए और वह सभी स्कूलों में वितरित करते है द्य
जनशिक्षक जो पद है उसमे किसी प्रकार का आकर्षण नहीं हैए मतलब अगर कोई जनशिक्षक बने तो क्यों बने घ् उसमे अलग से क्या लाभ है जब कोई किसी विभाग से अन्य किसी विभाग में डेपुटेशन पर जाता है तो उसे अन्य कई सुविधाए दी जाती है इसकारण भी लोग डेपुटेशन पर चले जाते है द्य पर यहाँ पर तो उल्टा हैए जनशिक्षक को डेपुटेशन पर लिया जाता है तो कई शर्ते है द्य जैसे कीए उसका स्वयं का वाहन होना चाहिए फ़ोन होना चाहिए परन्तु इन सब के मेंटेनेंस हेतु शासन कुछ नहीं देता है सिर्फ एक हजार रुपये देती हैए आज पेट्रोल का भाव क्या है घ् दस साल पहले भी इतना ही देती थी अब भी उतना ही देती है द्य फ़ोन का तो कुछ नहीं तो फिर कोई क्यों इस पद पर कार्य करे द्य लोग आते जरुर है पर उनकी अपनी मजबुरिया होती है द्य जैसे कोई कही दूर पद्सत है तो वह जनशिक्षक बन जाता है द्य और जब लोग मजबूरी में आते हैए तो हम सब जानते है की वह किस प्रकार कार्य करते है द्य
जनशिक्षक अपने कार्य के दौरान तत्काल निर्णय नहीं ले सकते द्य जैसे कीए स्कूल भ्रमण के दौरान अगर कोई शिक्षक बिना अर्जी दिए स्कूल में उपस्थित नहीं हैए ऐसे समय में वह शिक्षक के अनुपस्थिति को लेकर कोई करवाई नही कर सकते द्य सिर्फ निरिक्षण पंजी में लिख सकते है और अपने अवलोकन फॉर्म के माध्यम से वरिष्ट अधिकारियो को सूचित करते है द्य जनशिक्षक को अपने संबध शिक्षको के साथ अच्छे रखने होते हैए इसलिए वह किसी भी प्रकार का निर्णय लेने से पहले सोचते हैए क्योंकि उन्हें वापस उन्ही स्कूल में जाना हैए और उन्ही शिक्षको के माध्यम से कार्य करवाना है द्य जनशिक्षक के पास किसी प्रकार का पॉवर नहीं हैए जिसका इस्तेमाल कर कोई निर्णय ले सके द्य सारे अधिकार हाईस्कूल प्राचार्य के पास है द्य जिसके कारणवश जनशिक्षक किसी भी समस्या में पड़ने से घबराते है द्य
अत्तय यदि शासन को वाकई जनशिक्षक से कुछ परिवर्तन की आशा है पहले यह सोचना पड़ेगा की जनशिक्षक से उसका मूल काम ही करवाए या अन्य काम जो उसके है ही नही द्य और इस पद पर अच्छे लोग आये इस हेतु इस पद को अट्रेकटिव बनाना पड़ेगा और कुछ अन्य सुविधाए भी देनी होगी द्य कुछ नियम और शर्ते लागु होना जरुरी हैए जैसे कीए जनशिक्षक का निवास स्थान उनके जनशिक्षा केंद्र के पास होए अभी भी यह नियम हैए पर वास्तविकता में ऐसा नहीं होता है द्य घर से जनशिक्षा केंद्र के अंतर ज्यादा होने की वजह से 6 दिन कार्य 3 दिन में किया जाता है द्य ताकि आने जाने का खर्च बच सके द्य साथ ही निर्णय लेने का अधिकार भी कुछ हद्द तक देना होगा द्य तभी जनशिक्षक का पद वजनदार होगाए और निचले स्तर पर अच्छे से कार्य किया जा सकेगा द्य आज टेक्नोलॉजी का युग हैए सबके पास स्मार्ट फ़ोन हैए इसका प्रयोग कर जनशिक्षक अपने कार्य को आसन कर सकते है द्य पर शासन द्वारा जनशिक्षक के पद को प्रभावशाली बनाने हेतु कुछ अधिकार देने होंगे द्य ताकि समय पर सही निर्णय लेने से बच्चो का शिक्षा स्तर बेहतर हो सके द्य और जनशिक्षक पद का स