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1920 में हुई महामारी के ज़रिये जागरूकता बढ़ाई

Swapna Ramtake

28 August 2020

कोरोना के इस मुश्किल समय में पंचायत की जिम्मेदारियाँ काफी बढ़ गई हैं | बहुत से विभागों और लोगों ने चुनौतियों को अवसर में बदला है और आम जनता तक राहत पहुंचाने के लिए अपनी जिम्मदारियों से कहीं बढ़कर काम किया है | ‘बढ़ते कदम’ सीरीज के तहत हम कुछ ऐसी ही कहानियां आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं |

बिलकिसगंज, सीहोर (मध्य प्रदेश) के पंचायत सचिव लखन लाल गौर हैं | इस पंचायत में वे पिछले 15 वर्षों से अधिक काम कर रहे हैं  |

कोरोना महामारी के बीच, लॉकडाउन के दौरान, पंचायत में कुछ कोरोना पॉजिटिव केस मिले और एक पूरा एरिया कन्टेनमेंट ज़ोन घोषित कर दिया गया | पंचायत में पहला कोरोना केस मिलने के बाद ही लोगों का कोरोना पॉजिटिव परिवार से व्यव्हार बदल गया और परिवार के सदस्यों से लोगों ने बातचीत बंद कर दी |

गाँव के बुज़ुर्गों की मदद से 1920 में हुई महामारी (स्पेनिश फ्लू) का उदाहरण लखन लाल जी ने समक्ष रखा | बताया गया की महामारी से घबराने की ज़रुरत नहीं है | हर समस्या की तरह इसका भी समाधान होगा |

सभी सावधानियां बरतते हुए गाँव के लोगों को कोरोना पॉजिटिव परिवार के सदस्यों से बातचीत करने के लिए कहा गया | इस तरीके से गाँव के लोगों को कोरोना और उसके बचाव के बारे में जानकारी भी दी गयी |

बाहरी राज्यों से जो प्रवासी मजदूर आये, पंचायत द्वारा उनके रहने एवं खाने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई | पंचायत के पास वर्तमान में पैसो की कमी थी, राज्य सरकार के निर्देशों से 14 वित्त आयोग के बचे हुए पैसो से लोगो की मदद की गई | पंचायत ने स्वयं 80 हजार रुपये की लागत लगाकर लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी मुहैया करवाई, ताकि उन्हें अपना जीवन यापन करने में आसानी हो |

स्वप्ना रामटेक एकाउंटेबिलिटी इनिशिएटिव में वरिष्ठ PAISA एसोसिएट के रूप में कार्यरत हैं |

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