बिहार में पिछड़े वर्ग की आंगनवाड़ी दुविधा
5 August 2019
बिहार में महादलित टोलों को कैसे मिले आंगनवाड़ी योजना का लाभ? में यह सवाल इसलिए पूछ रही हूँ क्योंकि आंगनवाड़ी बाल विकास परियोजना (ICDS) के तहत बच्चों का पोषण स्वास्थ्य और स्कूल से पहले की शिक्षा के लिए प्रथम सामुदायिक कार्यक्रम है| लेकिन महादलित पिछड़े वर्ग को सेवाएं प्राप्त करने में अधिक समस्या होती है, जो मैंने खुद देखा है|
ताज्जुब की बात यह है कि इस टोले के लिए एक ज़िले में अलग से प्राथमिक विद्यालय शुरू किया गया लेकिन आंगनवाड़ी केंद्र नहीं चल रहा था| यह एक समस्यापूर्ण स्तिथि दर्शाता है| नियमित रूप से पोषाहार की प्राप्ति, टीकाकरण, ज़रुरी दवाइयाँ और पोषण दिवस के दिन जो भी सुविधाएँ मिलनी चाहिए के संसाधन के अभाव में बच्चे कैसे शिक्षा ले पाएंगे? क्योंकि स्वस्थ और पोषण पूर्ण बच्चा ही तो ठीक से पढ़ाई कर पायेगा|
मैंने यह भी देखा है की जहाँ आंगनवाड़ी है भी, वहाँ ज़रूरी नहीं है की बच्चे आ पा रहे हों| उदाहरण के तौर पर एक महादलित टोला गाँव के 1.5 k.m पर था जिसकी वजह से बच्चों को सड़क पार कर आंगनवाड़ी जाना पड़ता था| इस कारण ५ से कम आयु के बच्चे नहीं जा पाते थे, और सहायिका (जिनका इन बच्चों को इकट्ठा करने का काम है) वह भी बच्चों को लेने नहीं आती थी| सबसे दुःख की बात यह है कि आंगनवाड़ी केंद्र चलाने वाली सेविका और सहायिका किसी दुसरे गाँव या शहर की नहीं होती बल्कि उसी गाँव से होती हैं और वे ही योजना का क्रियान्वयन सही लाभार्थियों तक पहुचाने में असमर्थ होती है!
इस सब के बीच लाभार्थी सरकार को कोसते रहते हैं कि सरकार कुछ नहीं करती| मगर ज़मीनी स्तर पर कार्यकर्ता क्रियान्वन के लिए ज़िम्मेवार हैं और सरकार के नुमाइंदे हैं|
ऐसा मैं इस लिए भी कहना चाहती हूँ क्योंकि अभिभावक को जानकारी नहीं है की उनके बच्चों को कितनी राशि मिलनी चाहिए और यह भी की आंगनवाड़ी केंद्रों पर अनुश्रवन होता है लेकिन वह भी ना के बराबर है|
योजना का क्रियान्वयन सही तरीके से न होने का एक कारण है पदाधिकारी की अपनी मजबूरी| संस्थागत के तहत ज्यादातर सभी स्तर पर पदाधिकारी महिलाएं होती हैं और उनको सामाजिक कुरीतियों की वजह से अपने सुरक्षा का डर रहता है| इसी डर के कारण योजना के लाभ लाभार्थी तक नहीं पहुँच पता है, लाभार्थी को उसके हक़ का पैसा या अन्य सुविधा नहीं मिलता है|
मेरा मानना है कि कड़ी अनुश्रवन अब ज़रूरी है| यह शर्म की बात है जिस टोलों के लिए यह योजना चलती है उनको अपना हक़ मिलता नहीं और कार्रवाई करने या देखने के लिए सभी स्तर पर पदाधिकारी कई कारणों से असमर्थ पाए जाते हैं| तो बिहार में महादलित टोलों को कैसे मिलेगा आंगनवाड़ी योजना का लाभ?