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आवास की पहल

उदय शंकर

9 March 2023

मैं अकाउंटबिलिटी इनिशिएटिव समूह के साथ 2014 से जुड़कर काम कर रहा हूँ। इस दौरान, संस्था में रहते हुए, मैं बहुत सारे अलग-अलग अध्ययनो का हिस्सा रह चूका हूँ, इसमें मुझे सबसे अधिक आनंद उन अध्ययनों में आता है जहाँ हमारे काम से किसी के जीवन में कुछ सकारात्मक बदलाव देखने को मिले। ऐसा ही एक ज़मीनी अनुभव मैं आप सभी के साथ साझा करने जा रहा हूँ।

आकाश कुमार बिहार के गया जिला के रहने वाले हैं। वह करुणा सचिन नमक संस्था में काम करते हैं जो की सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर कार्य करती है। आकाश इस संस्था के साथ 2014 से जुड़े हुए हैं और संस्था के साथ ग्रामीण इलाकों में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को सही लाभार्थी तक पहुँचाने हेतु कार्य कर रहें है। मनरेगा, पेंशन योजना, आवास योजना, नल–जल योजना, इत्यादि, इन तमाम सरकारी योजनाओं को मूल लाभार्थियों तक पहुंचाने में उनका योगदान अहम है। उनकी संस्था के सदस्य सुदूर ग्रामीण इलाकों में जाकर लाभार्थियों से मिलते हैं, उनकी समस्याएं सुनते हैं और उसके बाद उन समस्याओं को दूर करने पर पहल करते हैं।

इसी क्रम में आकाश जब एक दिन ग्रामीण इलाके में फील्ड के कार्य के लिए निकले थे तब उनकी मुलाकात सरिता देवी* से हुई। सरिता देवी एक विधवा थी और अपने दो बच्चे का ध्यान रख रहीं थी। उन्हें उनके परिवार ने घर से निकाल दिया था और वह गांव में ही एक कुटिया बना कर रह रहीं थी। बरसात के दिनों में उन्हें बहुत परेशानी होती थी और अक्सर उस समय उन्हें गाँव के विद्यालय में रहना पड़ता था। सरिता इस समस्या के समाधान के लिए सरकार की ग्रामीण आवास योजना का लाभ लेना चाहती थी, जिसके लिए वह कई बार अपने पंचायत प्रधान से भी मिली, लेकिन पंचायत प्रधान उनकी बात को अनसुना कर देते थे।

समय बीतता गया लेकिन इसके बावजूद उन्हें आवास योजना का कोई लाभ नहीं मिला, इस तरह से तीन-चार साल केवल उम्मीदों के सहारे ही निकल गए।

इसी दौरान सरिता की मुलाक़ात आकाश से हुई।आकाश को मालुम हुआ की उन्हें सरकार की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा था। सरिता ने यह भी बताया की कई बार आवास योजना के लिए आवेदन देने के बावजूद आज तक उन्हें आवास योजना का लाभ नहीं मिला। आकाश ने सरिता को भरोसा दिलाया कि वह उनके द्वारा किये आवेदन का पता लगाएंगे।

आकाश पंचायत प्रधान से मिले और उनसे इस विषय में सवाल किया। पंचायत के प्रधान ने कड़े स्वर में कहाँ की “ये औरत आवास योजना का लाभ लेकर क्या करेगी, इसका एक पैर तो पहले ही कब्र में है? इस स्थिति में आवास योजना का लाभ दिलवाना सरकार का पैसा फिजूल खर्च करवाने के बराबर है। इसलिए मैंने इनके आवेदन को आगे बढ़ाया ही नहीं है।” यह सुनकर आकाश ने पंचायत प्रधान की एक प्रतिनिधि होने के बावजूद इतनी छोटी सोच पे आचार्य और असंतोष व्यक्त किया और साथ ही सरिता को योजना का लाभ दिलवाने का दृण निशाय किया।

आकाश ने सरिता से एक नया आवेदन भरवाया और उसे लेकर सीधे प्रखंड विकास पदाधिकारी के कार्यालय में गए और वहां आवास सहायक के पास फॉर्म सबमिट कर दिया। एक महीने बाद जब वह प्रखंड कार्यालय में आवेदन के स्टेटस का अपडेट लेने गए तो पता चला की उनका आवेदन निरस्त कर दिया गया है। जब आकाश ने आवास सहायक से फॉर्म निरस्त करने का कारण पूछा तो पता चला की आवेदन पर पंचायत के प्रधान की अनुशंसा नहीं मिली। आवास सहायक ने बताया की वह आवेदन पर पंचायत के प्रधान और सचिव की अनुशंसा मिलने पर ही आवेदन आगे बढ़ाते हैं। फॉर्म पर दोनों में से किसी की भी अनुशंसा न मिलने के कारण सरिता का आवेदन निरस्त करना पड़ा।

आवास सहायक की बात सुनकर आकाश ने वह फॉर्म लिया और खुद पंचायत प्रधान के पास अनुशंसा लेने के लिए चले गये। पंचायत प्रधान ने आवेदन पर अनुशंसा करने से फिर मना कर दिया तथा कहा कि “मैंने पहले ही आपसे कहा था कि यह महिला आवास योजना के लिए योग्य नहीं है, फिर भी आप इसके पीछे लगे हैं।” तब आकाश ने सोचा कि क्यों ना पंचायत सचिव से मिलकर इसका कोई समाधान निकलवाया जाए। लेकिन पंचायत सचिव ने भी इन्हें यह बोलकर बात टाल दी कि “पहले इस आवेदन पर पंचायत के प्रधान की अनुशंसा चाहिए, इसके बाद ही मैं इस पर कुछ कर पाउँगा।”

आकाश इससे निराश हो गये और सोचने लगे की वह शायद सरिता की मदद नहीं कर पाएंगे। एक अंतिम प्रयास के तौर पर वह प्रखंड कार्यालय गये और प्रखंड विकास पदाधिकारी से मिलकर उन्हें सारी बात बताई। प्रखंड विकास पदाधिकारी ने उनके काम की सराहना की और उन्हें आश्वासन दिया कि वह आकाश की मदद करेंगे और इसमें शामिल सभी लोगों की एक बैठक बुलाएंगे जिसमे प्रखंड प्रमुख साहब भी रहेंगे।

तीन दिन के बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी के द्वारा बैठक बुलाई गई जिसमें सभी संबंधित लोग शामिल हुए। बैठक में उक्त शिकायत पर अमल करते हुए अभी तक सविता को लाभ नहीं मिलने का कारण पूछा गया। जब पता चला की उक्त लोगों के द्वारा फॉर्म को हमेशा निरस्त कर दिया जाता था क्योंकि सविता एक विशेष वर्ग से थी और उसने पंचायत चुनाव में दुसरे प्रतिनिधि को अपना वोट दिया था, प्रखंड विकास पदाधिकारी और प्रखंड प्रमुख ने पंचायत प्रधान की खूब निंदा की और बैठक में उससे माफ़ी भी मंगवाई। उन्हें तुरंत कार्यालय से आदेश दिया गया कि सविता को आवास योजना का लाभ जल्द से जल्द मिलना चहिये और उसके लिए जो भी प्रक्रिया हो उसे तुरंत लागू किया जाये।

प्रखंड विकास पदाधिकारी के दिशा निर्देश में प्रधानमंत्री आवास विभाग ने सविता से ज़रूरी कागज़ात लिए और उन्हें योजना का लाभ दिया।

अब सविता अपने पक्के के घर में रह रहीं हैं। इसके साथ–साथ प्रखंड विकास पदाधिकारी ने सविता को वृद्धा पेंशन योजना का भी लाभ दिलवाया।

क्या आपको मालूम है कि इस कहानी में जो आकाश ने एक सक्रिय नागरिक का रोल निभाया, वह यह करने के लिए सशक्त कैसे बने? 

आकाश ने जून 2019 में पटना में हमारा ‘हम और हमारी सरकार’ कोर्स किया था। इस कोर्स में उन्हें  बताया गया था कि सरकार का विस्तृत ढांचा क्या है और कौन से अधिकारी के पास किस तरह के अधिकार होते हैं। समस्या आने पर किस अधिकारी से मिलना चाहिए तथा उस समस्या का समाधान कैसे हो सकता है, ऐसी तरह की कई महत्वपूर्ण जानकारियां हमने कोर्स के माध्यम से उन्हें दी थीं। आकाश ने इस जानकारी को अपने काम में बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल किया और अनेक नागरिकों को उनके हक दिलाने में कामयाब हुए।


उदय शंकर अकॉउंटबिलिटी इनिशिएटिव में वरिष्ठ पैसा एसोसिएट के पद पर नियुक्त हैं।


* व्यक्ति का नाम उनकी निजता की रक्षा के लिए बदल दिया गया है।


यह ब्लॉग प्रतीक गुप्ता द्वारा संपादित किया गया है।

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