कोरोना काल मे जीविका दीदी का योगदान
13 October 2020
कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों, सफाई कर्मियों, प्रशासन ने आम नागरिकों की सुरक्षा हेतु अपनी जिम्मेदारियों से कहीं बढ़कर काम किया है | ‘बढ़ते कदम’ सीरीज के तहत हम इन्ही लोगों की कहानियां आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं | सीरीज की इस कड़ी में हम बिहार में कार्यरत जीविका दीदियों की भूमिका पर चर्चा करेंगे |
ग्रामीण विकास विभाग के तहत, बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (BRLPS) के माध्यम से बिहार सरकार, विश्व बैंक सहायता प्राप्त बिहार ग्रामीण आजीविका परियोजना (BRLP) का नेतृत्व कर रही है, जिसे स्थानीय स्तर पर JEEViKA के नाम से जाना जाता है | JEEViKA स्वयं सहायता समूह (SHG) 2007 से कार्यरत है और इसके सदस्यों को आम बोलचाल की भाषा में जीविका दीदी के नाम से बुलाते हैं |
स्वयं सहायता समूह की जीविका दीदियों ने बिहार में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक नई आर्थिक और समाजिक क्रांति की पहल की | बिहार देश का पहला राज्य है जिसके पास 10 लाख स्वयं सहायता समूह हैं जो महिलाओं द्वारा प्रबंधित हैं ।
कोरोना काल में मुख्यमंत्री ने जीविका दीदियों को कई तरह की नयी ज़िम्मेदारियाँ सौंपी, जैसे ग्रामीण परिवेश में रोज़गार पैदा करना, ऋण उपलब्ध कराना, प्रवासी परिवारों को राशनकार्ड उपलब्ध कराना, लोगों को घरेलू उद्योग से जोड़ना तथा स्थानीय स्तर पर मास्क बनवाकर रोज़गार के नए अवसर पैदा कराना |
‘अभियान जीविका ग्राम संगठन’ स्वयं सहयता समूह ने सैंकड़ो परिवारों को राशनकार्ड एवं रोजगार दिलवाने में अहम् भूमिका निभाई है | लॉकडाउन की अवधि में जब सब घरों में कैद थे, इस समूह की जीविका दीदियों ने तय किया कि पंचायत के किसी भी परिवार के सामने रोजी-रोटी की समस्या नहीं आनी चाहिए | अभियान ग्राम संगठन ने यह ठाना की कोरोना महामारी के समय अपने संगठन के आलावा सरकार का भी साथ देंगे | कम कीमत में मास्क तैयार कर सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए पूरे बिहार के सभी प्रखंड में जीविका दीदीयों के द्वारा अलग-अलग ग्राम संगठन के माध्यम से लाखों की संख्या में मास्क उपलब्ध कराये गए |
पूर्ण लॉकडाउन के दौरान जब लोगों के सामने खाने की बड़ी समस्या खडी हो गयी, ‘विश्वकर्मा जीविका ग्राम संगठन’ की दीदियों ने ऐसे परिवारों को ऋण उपलब्ध कराया जो प्रतिदिन दिहाड़ी करते हैं | उन्हें मनरेगा के अंतर्गत काम भी दिलाया | कुछ परिवारों को ठेला उपलब्ध कराया, जिन्होंने फिर सब्जी, फल बेचने का काम शुरू किया |
इस तरह के छोटे-छोटे रोजगार से आज कई परिवार अपना पालन पोषण कर पा रहे हैं | रोज़गार के आलावा, प्रत्येक परिवार को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम का लाभ मिल सके, यह सुनिश्चित करने के लिए जीविका दीदियों ने पात्र लाभार्थियों का सर्वे करते हुए दस्तावेज़ एकत्रित करने और आवेदन करवाने का भी काम किया |
दिनेश Accountability Initiative में सीनियर पैसा एसोसिएट के तौर पर काम कर रहे हैं |
आपके द्वारा जीविका दीदी पर जो छोटा सा लेख लिखा गया है वह काफी सराहनीय है जीव का से जुड़कर बहुत सारी महिलाएं घर बैठे उनको रोजगार का अवसर प्रदान कर रहा हैl मगर जीविका दीदी के द्वारा जो भी कार्य किया गया है उसका एक आंकड़ा भी होता तो और बेहतर होता l