We want your
feedback

कोरोना से लड़ाई में साझी प्रशासनिक भागीदारी

Anil Baber

16 November 2020

कोरोना के इस मुश्किल समय में पंचायत की जिम्मेदारियाँ काफी बढ़ गई हैं | बहुत से विभागों और लोगों ने चुनौतियों को अवसर में बदला है और आम जनता तक राहत पहुंचाने के लिए अपनी जिम्मदारियों से कहीं बढ़कर काम किया है | ‘बढ़ते कदम’ सीरीज के तहत हम कुछ ऐसी ही कहानियां आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं |

कोरोना महामारी से भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले महाराष्ट्र राज्य की स्थिति ज्यादा खराब देखने को मिली है | एकाउंटेबिलिटी इनिशिएटिव की ओर से हमने महाराष्ट्र में पंचायत स्तर पर अपनी सेवाएं दे रहे कुछ आधिकारियों एवं पंचायत प्रतिनिधियों से बात की | हमने सरपंच, ग्राम सेवक, पोलिस पाटिल, मुख्याध्यापक, आशा, ए.एन.एम और आंगनवाडी कार्यकर्त्ता का इंटरव्यू किया | विभिन्न इंटरव्यू से एक बात तो स्पष्ट समझने को मिली कि इस भयावह स्थिति को सँभालने के लिए सभी कार्यकर्ताओं का सामूहिक प्रयास महत्त्वपूर्ण रहा है |

इन कर्मवीरों से बात करते हुए मुझे इनके बहुत से खट्टे-मीठे अनुभव समझने को मिले जिनको मैं संक्षेप में आपके साथ साझा कर रहा हूँ | विभाग अलग-अलग थे लेकिन सभी का लक्ष्य एक ही था – ‘कोरोना’, सभी फ्रंटलाइन कार्यकर्ता कोरोना के सामने डटकर खड़े थे | गतिविधियों में शामिल हैं:

  • गाँव की सीमा पर एक चेक पॉइंट स्थापित करना, जिस पर गाँव के पंचायत कर्मचारी काम कर रहे थे |
  • गाँव के सभी सार्वजनिक स्थान, सड़कें, ग्राम पंचायत कार्यालय, स्कूल,आंगनवाडी सेंटर को सैनिटाइज़ करना |
  • कोरोना की जानकारी को कुछ पर्चियों और लाउडस्पीकरों के माध्यम से प्रसारित करना |
  • गाँव में परिवार के सभी सदस्यों के लिए मास्क और परिवार के लिए एक सैनिटाइज़र की बोतल सुरक्षा हेतु उपलब्ध कराना |
  • प्रवासी मजदूरों के लिए मनरेगा के काम शुरू करवाना |
  • आशा, ए.एन.एम और आंगनवाडी कार्यकर्त्ता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए प्रचार-प्रसार, टीकाकरण के अलावा और भी कार्य किये |

कार्य अनेक हैं, लेकिन निरंतर प्रशासनिक प्रयास ज़रूरी हैं | हमारी Inside Districts श्रृंखला में ऐसे और उदाहरण आपको पढ़ने को मिलेंगे |

Add new comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *