ज़रूरतों के अनुसार प्रशिक्षण कब?
20 December 2017
किसी भी क्षेत्र में कार्य करने के लिए और उसमे दक्षता हासिल करने के लिए प्रशिक्षण लेना और देना सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है | मैंने Accountability Initiative के साथ 7 सालों में बिहार कि शिक्षा प्रशिक्षण या ट्रेनिंग प्रणाली को बारीकी से देखा है – शिक्षा के क्षेत्र में सभी स्तर के प्रशिक्षण कई बार सिर्फ नाम के रह जाते हैं |
अगर हम एक स्तर कि बात करे जिससे संकुल संसाधन केंद्र (Cluster Resource Center Coordinator) कहते है तो यह बात उजागर होगी | इसका कार्य है विधालय स्तर पर ‘अकादमिक समर्थन’ करने का, लेकिन आज कि स्थिति में यह राज्य और विधालय के सुचना या जानकारी आदान-प्रदान का एक माध्यम बन कर रहा गया है | क्यों?
जब किसी भी अधिकारी कि नियुक्ति होती है तो उस से यह जानकारी नहीं ली जाती है कि उस को किस प्रकार या किस विषय के उपर प्रशिक्षण चाहिए, उनकी ज़रुरत क्या है | उनको प्रशिक्षण तो मिलता है लेकिन यह नए-नए योजनाओं पर होता है | सीनियर अधिकारी को जो लगता है कि किस विषय पर प्रशिक्षण देना चाहिए उसके उपर भी प्रशिक्षण दिया जाता है | यह एक गैप पैदा करता है जहाँ प्रशिक्षण ज़मीनी ज़रूरतों को पूरा नहीं कर पाता |
प्रत्येक महीनें में एक दिन सभी शिक्षकों का प्रशिक्षण संकुल स्तर पर होता है जिसमें जिन शिक्षको को पढ़ाने के दौरान जिस भी विषय में कंही कठिनाई होती है, उसका हल वह इस प्रशिक्षण में निकालते है | लेकिन यह हमेशा नहीं होता – असल में कहें तो इस दिन को ‘बैठक या meeting’ बोलते हैं क्योंकि इसमें भी सिर्फ रिपोर्ट या जानकारी का आदान-प्रदान होता है |
दुखद है की कुछ शिक्षक लोग भी इस दिन जा कर सिर्फ रिपोर्ट देते हैं, हाज़री बनाते है और अपने अधिकारी से छुट्टी ले कर या जो रिपोर्ट देना होता है दे कर निजी कार्य के लिए निकल जाते हैं | ज़ाहिर है सिर्फ नाम का प्रशिक्षण दिवस रह जाता है, लेकिन प्रशिक्षण कुछ नहीं मिलता |
एक हल यह है कि प्रशिक्षण देने से पहले सभी स्तर पर जो भी अधिकारी हैं या शिक्षक हैं, उन से मिलकर पहले यह जानने कि कोशिश कि जाए कि उन्हें किस तरह का प्रशिक्षण चाहिए | ज़रुरत को जानते–समझते हुए प्रशिक्षण दिया जायेगा तो वह अपने रोजमर्रा के काम में इसको इस्तेमाल कर पाएंगे और कार्य में भी गुणवता देखने को मिलेगी | इससे ज़मीनी ज़रूरतों कि भी पूर्ती हो पाएगी |
जब प्रशिक्षण कि यह स्तिथि है तोह रोज़ के कार्य में इसका कितना योगदान होगा यह एक चिंताजनक विषय है | प्रशिक्षण का अर्थ होता है अपने आप को या किसी दुसरे को ऐसी शिक्षा देना कि उनका कौशल का विकास हो | इसकी कामना अभी नहीं कि जा सकती |