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COVID के दौरान हिमाचल प्रदेश में आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका

Indresh Sharma

11 August 2020

महामारी और लॉकडाउन के दौरान स्वास्थ्य कर्मी, पुलिस प्रशासन, सफाई कर्मचारी, सभी ने आम नागरिकों की सुरक्षा हेतु रोज़ अपनी जान जोख़िम में डाल कर काम किया है | ऐसे समय में स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत पंचायत स्तर पर आशा कार्यकर्ताओं तथा महिला एवं बाल विकास विभाग में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका भी बेहद अहम रही है |

हाल ही में 7 अगस्त को कोरोनोवायरस संकट के बीच बेहतर वेतन और सुरक्षा की मांग को लेकर भारत भर में लगभग 6 लाख आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने दो दिवसीय हड़ताल शुरू की |

आइये इन कार्यकर्ताओं की ज़िम्मेदारियों और चुनौतियों के बारे में और जानते हैं |

              

आम तौर पर इनकी भूमिका:

 

आशा कार्यकर्ता का मुख्य कार्य गर्भवती तथा धात्री महिलाओं की देख रेख एवं परामर्श करना, शिशु टीकाकरण करवाना, 5 वर्ष तक के बच्चों के लिए आयरन एवं फोलिक एसिड सिरप तथा किशोरियों एवं महिलाओं के लिए टेबलेट देने के साथ-साथ विवाह,जन्म एवं मृत्यु से जुड़ी जानकारी का रिकॉर्ड रखना होता है |

वहीं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का मुख्य कार्य बच्चों को बुनियादी चीजें सिखाने के साथ-साथ उन्हें गर्म भोजन देना, तथा गर्भवती, धात्री महिलाओं एवं किशोरियों को पोषण युक्त राशन देना होता है | बच्चों को पोलियो खुराक देना हो या फिर घर-घर जाकर स्वास्थ्य से जुड़े सभी विषयों के बारे में लोगों को नियमित तौर पर जागरूक करना हो, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के कार्य ज़मीनी स्तर पर आम नागरिकों से सीधे जुड़े रहते हैं |

 

कोरोना महामारी के समय में इनकी भूमिका:

 

1 अप्रैल को विभाग द्वारा आशा तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की संयुक्त टीम को घर-घर जाकर कोरोना से जुड़े संक्रमित लोगों की पहचान करने की जिम्मेदारी दी गयी | इसके लिए ब्लॉक स्तर पर खंड स्वास्थ्य अधिकारी की अध्यक्षता में बैठक आयोजित हुई | इस बैठक में खंड स्वास्थ्य आधिकारी द्वारा आगामी कार्यक्रम से जुड़ी प्रक्रिया के बारे में बताया गया तथा मास्क और सेनेटाईजर भी उसी दिन वितरित किये गए |

बैठक में बताया गया कि पंचायत के सभी लोगों के घर जाकर कोरोना संक्रमण से होने वाले लक्षणों की जानकारी रजिस्टर में रिकॉर्ड करने के साथ-साथ Active Case Finding (ACF) COVID-19 एप्प में भी भरना है | विभाग द्वारा इस कार्य को पूरा करने के लिए 7 दिनों का लक्ष्य रखा गया तथा इसके लिए 1,000 रूपये निर्धारित किये गए |

ब्लॉक कार्यालय से इस एप्प का लिंक आशा कार्यकर्ताओं के WhatsApp ग्रुप में शेयर कर दिया गया तथा इस पूरे कार्य के लिए उन्हें मुख्य लीड के तौर पर जिम्मेदारी दी गयी |

इस तरह आशा तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा पंचायत में जाकर जानकारी इकठ्ठा करने का काम शुरू हुआ | घर-घर जाकर सदस्यों से पिछले दिनों की यात्रा, मधुमेह, अस्थमा, उच्च रक्तचाप, बुखार, सांस लेने में किसी तरह की परेशानी से जुड़ी जानकारियाँ ली गयी |

आशा तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने कोरोना के मुश्किल समय में न सिर्फ इस कार्य को बखूबी निभाया बल्कि अपने नियमित कार्यों को भी जारी रखा – चाहे वह ज़रूरी टीकाकरण हो या फिर लाभार्थियों तक पोषण युक्त राशन पहुँचाना | कोरोना महामारी के इस दौर में इन्होने चुनौतियों को अवसर में बदला है और आम जनता तक राहत पहुंचाने के लिए अपनी जिम्मदारियों से कहीं बढ़कर काम किया | ‘बढ़ते कदम’ सीरीज के तहत हम कुछ ऐसी ही कहानियां आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं |

 

चुनौतियां:

 

  • सरकार की ओर से ये तो कहा गया कि इन महिला कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर कोरोना संक्रमित लोगों की पहचान करनी है लेकिन स्वयं को कोरोना से सुरक्षित करने के लिए कुछ कार्यकर्ताओं तक गुणवत्तापूर्ण मास्क या सुरक्षा किट नहीं पहुँच पाए | ऐसे में स्वयं की सुरक्षा इनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गयी |
  • विभाग द्वारा कार्यकर्ताओं को ये आदेश कर दिया गया कि एप्प में सभी लोगों की जानकारी अपलोड करनी है लेकिन ये नहीं बताया गया कि जिन कार्यकर्ताओं के पास स्मार्ट फ़ोन उपलब्ध नहीं है वह ये कैसे करेंगे | कार्यकर्ताओं को एप्प का इस्तेमाल करना भी नहीं सिखाया गया |
  • इतने कम समय में पैदल घर-घर जाकर जानकारी को रजिस्टर पर रिकॉर्ड करना तथा फिर उसे एप्प पर अपलोड करने की पूरी प्रक्रिया में भी कार्यकर्ताओं को काफी परेशानी हुई |
  • पूरी प्रक्रिया में पंचायती राज संस्थाओं का स्वास्थ्य विभाग के साथ किसी तरह का कोई सामंजस्य तथा सहयोग ठोस रूप में देखने को नहीं मिला | पंचायत अलग से ही जागरूक करने तथा लोगों को राहत पहुंचाने का काम करती रही |

इन कार्यकर्ताओं की चुनौतियों को देख कर मुझे ऐसा लगता है कि सेवा वितरण को बेहतर करने के लिए जरुरी है कि ब्लॉक/जिला स्तर पर सरकार एक ऐसी संस्थागत क्षमता उत्सर्जन प्रणाली का तंत्र बनाए जो समय-समय पर अपने कर्मचारियों को क्षमता पूर्ण एवं संसाधन युक्त बनाने पर नियमित कार्य करे |

 

नोट: उपर्युक्त लेख हिमाचल प्रदेश की आशा तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखा गया है |

Indresh Sharma एकाउंटेबिलिटी इनिशिएटिव में Senior PAISA Associate के रूप में कार्यरत हैं |

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