We want your
feedback

Vidya Ka Mandir

accountability

14 March 2012

Dinesh Kumar, Accountability Initiative

यह कहानी उस विद्यालय की है जिसे उसके प्रधान उसे विद्या का मंदिर कहते है | जब आप इनके  विद्यालय  की कहानी सुनेगें तो आप भी सोचेंगे कि प्रधान ने आखिर क्या किया कि इस  विद्यालय  मे इतनी सुविधाए है।  विद्यालय मे प्रयाप्त कमरे, उचित पेय जल की व्यवस्था, बिजली, कुलर, अलमारी, टेलिविजन और प्रधान के कक्ष मे गद्धेदार कुर्सिया लगी हुई है। कैम्पस में माँ सरस्वती  और दुर्गा की मंदिर है |

This story is of that school, whose headmaster calls it the “Temple of Learning”. When you hear the story of this school, even you would wonder as to who the headmaster provided so many facilities in this school. The school has enough classrooms, appropriate drinking water facility, electricity for the entire building, cooler, almirah, televsion and a fancy sofa in the headmasters room. The campus, in fact, has a temple dedicated to Lord Saraswati and Durga. 

इस ‘विद्या के मंदिर’ में और क्या- क्या हो रहा है आप जानिए| यह कहानी पुर्णिया जिला मुख्यालय से 42 कि.मी. दूर प्रखंड दमदाहा के हरिजन मध्य विद्यालय  की है | मै जब पैसा सर्वे को लेकर घूम रहा था तभी मुझे इस विद्यालय में जाने का मौक़ा मिला | शाम  का समय  था, जब मै वहां गया। मैंने सोचा कि  विद्यालय में जिस प्रकार की सुविधा है उसके लिये तो इतना पैसा सरकार नहीं देती है, फिर भी इस तरह सुविधा के होने का कारण क्या है ?

This story is of a “Harijan High School” 42 km away from the district headquarters of Purnea, in a village called Damdaha. I had an opportunity to visit this school as a part of the PAISA survey. I reached there in the evening. I kept wondering, that the government does not provide so much funds that you can so have so many facilities in a school. So how did this school manage?

 जब मैंने प्रधान शिक्षक से बात की, तो पाया कि इसकी कुछ अलग कहानी है। उन्होने बताया कि इस क्षेत्र के जितने भी पंचायती राज्य के सदस्य है, वे उन सभी की बैठक बुलाते है, और सभी सदस्य को अपने क्षेत्र के बच्चो की जबादेही लेने के लिये कह्ते है| साथ में  विद्यालय सहयोग हेतु इन सभी  को कुछ चन्दा स्वरुप राशि देने के लिये कह्ते है | उन्होंने आगे कहाँ की यहाँ जो भी सुविधा उपलब्ध देख रहे है, उसके लिए हमे समुदाय का काफी सह्योग मिलता है । पंचायत के मुखिया, सरपंच, वार्ड-सदस्य, और उस क्षेत्र के विधायक भी विधालय के विकास हेतु धन राशि देते है ।

When I talked to the headmaster, I found a story with a twist. He said that he calls a meeting of all members of the Panchayat and tells everybody to hold the school accountable for their children’s education. In addition, he requests everybody to pitch in funds for the school. He said that there is a great contribution from the community for all the facilities in the school. The Panchayat ‘Mukhiya’, ‘Sarpanch’, ‘Ward-members’ and the Legislator also provide funds for the school.

सरकार भी विद्यालय के लिए अनुदान  देती है, जैसे की विद्यालय विकास,रख-रखाव ,शिक्षण सामाग्री, छात्रवृती,परिभर्मन  विज्ञान कीट उसके साथ ही प्रधान शिक्षक उन पैसे का भी सदउपयोग करते है । जो MDM के पैसा बचता है उसका प्रयोग भी बच्चो के लिये किया जाता है। प्रत्येक शिक्षक से भी सहयोग के रुप मे चन्दा के लिया जाता है।

In addition, the government also provides funds to the school in terms of School Development Grant, School Maintenance Grant, Teaching Learning Material, Scholarships, Transport allowance etc. The headmaster uses these funds for his school. He inflates the number of students who come for MDM, and uses the left-over money also for the school facilities. Each teacher also has to mandatorily put in a contribution for the school.

प्रधान ने विद्यालय के विकस हेतु समुदाय, अभिभावक, विधायक, मुखिया , सरपंच ,आदी से सहयोग लिया बहुत  ही अच्छा किया है | लेकिन जब मध्याहन भोजन का पैसा इन सभी कार्यों के लिए खर्च करता है यह अच्छा नहीं हो रहा है|

The headmaster is doing a lot for the school, and has solicited contributions from the community at large, and that’s really amazing. However, misappropriating MDM funds, even if it’s for the good of the school, is not good.

 

 

Add new comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *